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सोमवार, 4 मार्च 2013

भाजपा के मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की बीमारी

इस समय मप्र का स्वास्थ्य महकमा घोटालों का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है. बीते नौ साल के दौरान इसी विभाग से 600 करोड़ रुपये से अधिक की काली कमाई छापों में मिली है. अब तक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई के अलावा एक स्वास्थ्य आयुक्त और तीन संचालकों पर आय से कई गुना अधिक संपत्ति पाए जाने का आरोप है. दरअसल घोटालों का यह सिलसिला 2005 में केंद्र के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के साथ ही शुरू हो गया था. इस कड़ी में सबसे पहले 2007 में तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा और उनके करीबी बिजनेसमैन अशोक नंदा के 21 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे और गद्दों के अंदर से करोड़ों रुपये बरामद किए. इसके बाद स्वास्थ्य संचालक बने डॉ. अशोक शर्मा के ठिकानों पर 2008 और अमरनाथ मित्तल के ठिकानों पर आयकर छापे पड़े और इनके यहां भी लाखों की अवैध संपत्ति मिली.



2005 से अब तक स्वास्थ्य विभाग में घोटालों का लंबा पुलिंदा है जिसमें फिनाइल, ब्लीचिंग पाउडर से लेकर मच्छरदानी, ड्रग किट, कंप्यूटर और सर्जिकल उपकरण खरीद से जुड़े करोड़ों रुपये के काले कारनामे छिपे हैं. इसी कड़ी में केंद्र की दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना में विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत करके दवा-वितरण में लगभग 658 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. नौकरशाही ने पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को इस हद तक बीमार बना दिया है कि अधिकारी ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए केंद्र से भेजे गए 725 करोड़ रुपये का फंड भी खर्च नहीं कर पा रहे हैं. दिलचस्प है कि मप्र में हर साल स्वास्थ्य के लिए आवंटित इस बजट के एक चौथाई हिस्से का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है. भ्रष्टाचार की हालत यह है कि इस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सबसे अधिक 42 प्रकरण लोकायुक्त में लंबित हैं.

3 टिप्‍पणियां:

  1. देखने वाले का नजरइया कैसा है ? वैसे तो पुरे देश मे भ्रष्टाचार असहनिय हो चुका लेकिन धरपकड् केवल मध्यप्रदेश मे हो रहा है , ये सराहनिय कहा जा सकता है पर मानसिकता किसी का भी विरोध का हो तो क्या कहे ?

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  2. उत्तर
    1. अभिषेक मनु एनडी तिवारी को भी जिन्दाबाद बोल दे देशी गर्ल‌

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