एक साधु गंगा में स्नान कर रहे थे. गंगा की धारा में बहता हुआ एक बिच्छू चला जा रहा था. वह पानी की तेज धारा से बच निकलने की जद्दोजहद में था. साधु ने उसे पकड़ कर बाहर करने की कोशिश की, मगर बिच्छू ने साधु की उँगली पर डंक मार दिया. ऐसा कई बार हुआ.
पास ही एक व्यक्ति यह सब देख रहा था. उससे रहा नहीं गया तो उसने साधु से कहा – महाराज, हर बार आप इसे बचाने के लिए पकड़ते हैं और हर बार यह आपको डंक मारता है. फि
पास ही एक व्यक्ति यह सब देख रहा था. उससे रहा नहीं गया तो उसने साधु से कहा – महाराज, हर बार आप इसे बचाने के लिए पकड़ते हैं और हर बार यह आपको डंक मारता है. फि
र भी आप इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. इसे बह जाने क्यों नहीं देते.
साधु ने जवाब दिया – डंक मारना बिच्छू की प्रकृति और उसका स्वधर्म है. यदि यह अपनी प्रकृति नहीं बदल सकता तो मैं अपनी प्रकृति क्यों बदलूं? दरअसल इसने आज मुझे अपने स्वधर्म को और अधिक दृढ़ निश्चय से निभाने को सिखाया है.
मोरल:-(नेताओ के चमचे आम आदमी समर्थक पेजों पर कितनी ही गालिया क्यों ना लिख दे पर आप उसका उत्तर कभी गाली से ना दें)
"आपके आसपास के लोग आप पर डंक मारें, तब भी आप अपनी सहृदयता न छोड़ें
साधु ने जवाब दिया – डंक मारना बिच्छू की प्रकृति और उसका स्वधर्म है. यदि यह अपनी प्रकृति नहीं बदल सकता तो मैं अपनी प्रकृति क्यों बदलूं? दरअसल इसने आज मुझे अपने स्वधर्म को और अधिक दृढ़ निश्चय से निभाने को सिखाया है.
मोरल:-(नेताओ के चमचे आम आदमी समर्थक पेजों पर कितनी ही गालिया क्यों ना लिख दे पर आप उसका उत्तर कभी गाली से ना दें)
"आपके आसपास के लोग आप पर डंक मारें, तब भी आप अपनी सहृदयता न छोड़ें
हम भारत माटी के लाल, हम भी बनेगे केजरीवाल
जवाब देंहटाएंठीक कह रहे हो भाई... आम आदमी जिंदाबाद..
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