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सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

भारत माता(श्री अटल जी के शब्दों में)

भारत जमीन का टुकड़ा नही, जीता-जगता राष्ट्रपुरुष है!
हिमालय इसका मस्तक है, गौरी शंकर शिखा है!
कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे है!
विन्ध्याचल कटी है,नर्मदा करधनी है!पूर्वी और पश्चिमी घाट, दो विशाल जंघाए ह
ै!
कन्याकुमारी इसके चरण है, सागर इसके पग पखारता है!
पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश है! चाँद और सूरज इसकी आरती उतारते है! यह वन्दन की भूमि है, अभिन्दन की भूमि है! यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है!
इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है!
हं जियेंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए!







ये शब्द कभी अटल बिहारी वाजपाई जी ने अपने एक प्रसिद्ध भाषण में कहे थे!!

आज भी अटल जी को पूरा सम्मान है हमारी और से, जय भारत जय भारती 

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