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सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

अटल बिहारी वाजपाई

वज्र से भी कठोर अडिग संकल्प-सम्पन राजनेता श्री अटल बिहारी बाजपाई के कुसुम कोमल ह्रदय से उम्द पड़ने वाली कविताये गिरी-ह्रदय से फुट निकलने वाली निर्झरियो के सद्र्श एक और जन्हा अपने दुर्दांत आवेग से किसी भी अवगाहनकर्ता को भा ले जाने में समर्थ है,
वन्ही दूसरी और वे अपनी निर्मलत,शीतलता और प्राणवत्ता से जीवन के दुर्गम पथ के रहियो की
प्यास और थकान को हरकर नई प्रेरणा की संजीवनी प्रदान करने की क्षमता से भी सम्पन्न है!
इनका सहज स्वर तो देश भक्ति पूर्ण शौर्य का ही है;
किन्तु कभी-कभी नव सर्जना की वेदना से ओतप्रोत करुणा की रागिनी को भी ये ध्वनित करती है!

इसीलिए मित्रो आज फेसला किया है की अब कुछ दिनों तक वाजपाई जी की कविताये ही पोस्ट करूंगा अपने इस ब्लॉग पर..
वन्देमातरम!!!

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