मैं आर्यन कोठियाल आज जब अपने कॉलेज(I.T.M.) के बारे में ये आलेख लिख रहा हूँ, तब मुझे कॉलेज में आये पूरा एक वर्ष हो चूका है इसीलिए अपने कॉलेज के बारे में कुछ लिखना मेरा कर्तव्य भी बनता है और शायद मुझे ये अधिकार भी है की जिस परिवार में एक वर्ष पहले मैं एक नये सदस्य के रूप में आया था और आज उसी I.T.M. परिवार में रच-बस गया हूँ, उसके बारे में कुछ लिखूं!
शुरुआत अपने कॉलेज परिसर से करता हूँ, हमारे कॉलेज का परिसर कुछ छोटा है पर उसमे कॉलेज के सभी विद्यार्थियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाए है, वेसे भी छोटा कॉलेज-बड़ा कॉलेज, लम्बा कॉलेज-छोटा केम्पस मेरे अनुसार ये सब तो ट्रेन के डिब्बे है ये कहा और कितनी गति से जायेंगे ये तो विद्यार्थी नामक ट्रेन के इंजन को तय करना है, यानी अब ये हमारे हाथ में है की I.T.M. को कितना आगे बड़ा सके!
दूसरी बात आती है, कॉलेज एक अध्यापको की यानी फेकल्टी की सभी अध्यापक एक से बड़कर एक है, हम जेसे मूर्खो पर बड़ी मेहनत करते है हमे भविष्य के लिए तैयार करते है और कई बार लगता है यदि आज एक कॉलेज से सॉफ्टवेयर की कोडिंग करने वाली मशीनों की जगह आज भी मनुष्य ही निकल रहे है तो ये इन्हें अध्यापको का कमाल है जिन्होंने ये जानते हुए भी की शेक्षणिक संस्थान आज एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनने लगे है और शिक्षा एक व्यवसाय उन्होंने कॉलेज और हमारे बिच एक सेतु का निर्माण किया और हमे विद्यार्थी से कभी कस्टमर नही बनने दिया शायद इसिलिय बचपन में सिखाया जाता था" गुरु देवो भव" क्युकी अध्यापक कई वो काम कर देता है जो ईश्वर भी नही कर सकता!
तीसरी बात आती है, इस कॉलेज में आकर मुझे क्या मिलेगा?
बड़ी कम्पनी की छोटी नौकरी, या किसी छोटी कम्पनी की एक बड़ी नौकरी, मेरा मानना है ये हमारे भविष्य की बात है की भविष्य में कॉलेज से पाई शिक्षा से हमे क्या मिलता हिया और क्या नही
मैं बताता हूँ मुझे इस एक साल में कॉलेज से क्या मिला:-
मुझे दो छोटी बहने(नेहा नैथानी और स्वाति काला) भाई जैसे दोस्त, कुछ दोस्त जेसे अध्यापक और अंत में गुंजन मेम की डांट विशेष "उलेखनीय" है!!!
शुरुआत अपने कॉलेज परिसर से करता हूँ, हमारे कॉलेज का परिसर कुछ छोटा है पर उसमे कॉलेज के सभी विद्यार्थियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाए है, वेसे भी छोटा कॉलेज-बड़ा कॉलेज, लम्बा कॉलेज-छोटा केम्पस मेरे अनुसार ये सब तो ट्रेन के डिब्बे है ये कहा और कितनी गति से जायेंगे ये तो विद्यार्थी नामक ट्रेन के इंजन को तय करना है, यानी अब ये हमारे हाथ में है की I.T.M. को कितना आगे बड़ा सके!
दूसरी बात आती है, कॉलेज एक अध्यापको की यानी फेकल्टी की सभी अध्यापक एक से बड़कर एक है, हम जेसे मूर्खो पर बड़ी मेहनत करते है हमे भविष्य के लिए तैयार करते है और कई बार लगता है यदि आज एक कॉलेज से सॉफ्टवेयर की कोडिंग करने वाली मशीनों की जगह आज भी मनुष्य ही निकल रहे है तो ये इन्हें अध्यापको का कमाल है जिन्होंने ये जानते हुए भी की शेक्षणिक संस्थान आज एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनने लगे है और शिक्षा एक व्यवसाय उन्होंने कॉलेज और हमारे बिच एक सेतु का निर्माण किया और हमे विद्यार्थी से कभी कस्टमर नही बनने दिया शायद इसिलिय बचपन में सिखाया जाता था" गुरु देवो भव" क्युकी अध्यापक कई वो काम कर देता है जो ईश्वर भी नही कर सकता!
तीसरी बात आती है, इस कॉलेज में आकर मुझे क्या मिलेगा?
बड़ी कम्पनी की छोटी नौकरी, या किसी छोटी कम्पनी की एक बड़ी नौकरी, मेरा मानना है ये हमारे भविष्य की बात है की भविष्य में कॉलेज से पाई शिक्षा से हमे क्या मिलता हिया और क्या नही
मैं बताता हूँ मुझे इस एक साल में कॉलेज से क्या मिला:-
मुझे दो छोटी बहने(नेहा नैथानी और स्वाति काला) भाई जैसे दोस्त, कुछ दोस्त जेसे अध्यापक और अंत में गुंजन मेम की डांट विशेष "उलेखनीय" है!!!
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