जो थे ख़ास, अब वो आम होने लगे हैं
बदनाम गलियों के नामी लोग, अब
आम की गलियों में भी बदनाम होने लगे
सबको इल्म था, सबको खबर थी इनकी
फर्क ये है अब खुलासे सरे आम होने लगे हैं
पहले परेशानियों से सिर्फ हमारा ही था रिश्ता
सुना है कुछ सियासतदान भी परेशान होने लगे हैं
धीरे धीरे ही सही लोग खोलने लगे हैं दरवाजे
आम जनता से हम देश की आवाम होने लगे हैं...
बदनाम गलियों के नामी लोग, अब
आम की गलियों में भी बदनाम होने लगे
सबको इल्म था, सबको खबर थी इनकी
फर्क ये है अब खुलासे सरे आम होने लगे हैं
पहले परेशानियों से सिर्फ हमारा ही था रिश्ता
सुना है कुछ सियासतदान भी परेशान होने लगे हैं
धीरे धीरे ही सही लोग खोलने लगे हैं दरवाजे
आम जनता से हम देश की आवाम होने लगे हैं...
मेरा ब्लॉग अपना ब्लॉग बंद कर दिया गया इसीलिए मुझे यंहा लिखना पड़ा है..
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