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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

हद्द हो गई अब तो

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दिक्षित को शायद अपना भविष्य देखने की कला आ गयी है, तभी उन्होंने अपनी कुर्सी के जाने के पहले एक बड़ा हाथ मारने की योजना बनायीं!! 18 फरवरी को शीला ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिराव सिंधिया से मुलाक़ात की, पर बात नही बनी !! इसके बाद शीला दिक्षित ने 19 फरवरी को सिंधिया को एक पत्र लिखा है, जिसमे शीला का कहना है कि कंपनियों को 20,000 करोड़ का घाटा हुआ है, जिसे अगर केन्द्रीय सरकार आर-एडीपीआरपी के माध्यम से पूरा नही कर सकती तो, सरकारी कम्पनी ट्रांस्को के तहत सहायता दे सकती है !!

अरविन्द ने जब शीला के बिजली पानी घोटाले का खुलासा किया तो, उन्होंने साफ़ साफ़ साक्ष्य पेश किये थे, जिनमे साफ़ था कि बिजली कंपनियों और दिल्ली सरकार को जनता की जेब काटने से कई करोड़ की मोटी कमाई हुई थी और उन साक्ष्य के अनुसार बिजली के दाम मौजूदा दामो से आधे हो जाने चाहिए थे !! पर इसकी बजाय दिल्ली सरकार न सिर्फ नुक्सान की दुहाई देकर मोटा पैसा चाहती है, पर सरकार से सब्सिडी की मांग और एनटीपीसी से सस्ती बिजली आपूर्ति भी चाहती है !!
अगर केंद्र दिल्ली सरकार की इस मांग को मान लेती है तो न केवल आम आदमी पर बढे बिजली के दाम थोपे जायेंगे बल्कि ज़ख्मो पर नमक छिड़कते हुए उसके टैक्स से दिल्ली सरकार और बिजली कंपनियों की जेब भरी जायेगी !!

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