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रविवार, 30 दिसंबर 2012

सफदरजंग से सिंगापुर तक सरकारी खुफिया ऑपरेशन की पूरी कहानी

दिल्‍ली गैंगरेप को लेकर पूरे देश में फैले आक्रोश की वजह से सरकार इस कदर डर गई थी उसे लड़की को अस्पताल से निकालने के लिए खुफिया ऑपरेशन चलाना पड़ा था। ये जानते हुए भी कि ऐसा करने से लड़की की जान खतरे में पड़ सकती है, लेकिन सरकार को लड़की की चिंता ही कहां थी? उसे बस एक ही खौफ सता रहा था कि देश में लड़की की मौत कहीं राष्‍ट्रव्‍यापी आंदोलन न खड़ा कर दे। सो उसने खुफिया ऑपरेशन की पूरी तैयारी कर ली। ये ऑपरेशन इतना खुफिया था कि स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को भी इसकी जानकारी नहीं थी। लड़की को कैसे अस्‍पताल से निकाला जाएगा, कितने लोग उसे बाहर लेकर आएंगे, वो किन कपड़ों में होंगे, कौन-कौन से डॉक्‍टर उसके साथ जाएंगे। लड़की को किस रास्‍ते से ले जाएगा, इन सभी बातों पर दिल्‍ली पुलिस ने डॉक्‍टरों की टीम के साथ मिलकर पूरा प्‍लान बनाया और फिर वो गैंगरेप की शिकार लड़की को मौत के सफर पर लेकर चल पड़े। हालांकि, इस खुफिया ऑपरेशन को गुप्‍त रखने की पूरी तैयारी थी, लेकिन फिर भी मीडिया को इसकी भनक लग ही गई थी और एक फोटोग्राफर पुलिस से भी उस्‍ताद निकला। वो भी बुर्का पहनकर घूम रहीं महिलाओं के बीच बुर्का पहनकर ही शामिल हो गया। बाद में उसी ने लड़की के पासपोर्ट फोटो भी निकाली।       
सबसे पहले ICU के बाहर आईं तीन एंबुलेंस

दिल्‍ली पुलिस ने मीडिया की नजरों से इस खुफिया ऑपरेशन के लिए अपने प्‍लान के तहत सफदरजंग अस्‍पताल के बाहर तीन एंबुलेंस तैनात कीं, ताकि किसी को ये पता न चल सके कि किस गाड़ी में कौन है? इतना ही नहीं एंबुलेंस के ड्राइवर को ये भी बताया गया था कि वो सीधे एयरपोर्ट जाने वाले रास्‍ते की ओर न जाए बल्कि उसे ऐसे रास्‍ते से ले जहां कन्‍फ्यूजन बना रहे। 

मुस्लिम लड़की को कराया गया अस्‍पताल में भर्ती

पुलिस ने जिन तीन एंबुलेंसों को अस्‍पताल के बाहर खड़ा किया था, उनमें एक एंबुलेंस मेदांता की थी। इसी बीच बुर्का पहनकर महिलाएं अस्‍पताल के बाहर घूमने लगीं। कुछ देर में पुलिस एक मुस्लिम लड़की को अस्‍पताल लेकर आई और उसे एडमिट कराया। बाद में तीन एंबुलेंस अस्‍पताल से निकलीं। वो फोटाग्राफर चकरा गया कि कौन सी एंबुलेंस में गैंगरेप की शिकार लड़की को ले जाया जा रहा है।  

नकली परिवार को लेकर निकलीं दो एंबुलेंस

तीनों एंबुलेंस अस्‍पताल से बाहर निकलीं, जिनमें से दो एंबुलेंस में वो नकली परिवार थे, जिन्‍हें भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए लाया गया था। एंबुलेंस का पीछा करने का वाला फोटोग्राफर समझ नहीं पा रहा था कि अब वो क्‍या करे। इस काफिले में तीसरी एंबुलेंस मेदांता अस्‍पताल की थी। वो इसी उधेड़बुन में था और तभी उसे पता चला कि लड़की मेदांता की तीसरी एंबुलेंस में है, लेकिन एंबुलेंस को देखकर समझ नहीं आ रहा था कि वो मेदांता जा रही है या एयरपोर्ट। फोटोग्राफर इसी गफलत में था और अचानक उसने देखा कि एंबुलेंस एयरपोर्ट की ओर मुड़ गई। तब जाकर उसे राहत मिली। इसी फोटोग्राफर लड़की के पासपोर्ट की फोटो भी निकाली।

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