अडवानी जी धन्यवाद...आप का साथ दो
हम राजनीति में आये तो सबसे ज्यादा जिन्हें धक्का पहुंचा वो शायद भाजपा
और उनके समर्थक थे !! हम कहते रहे कि पक्ष तो छोडो , अगर विपक्ष ही अपनी
ज़िम्मेदारी भली भाँती निभा लेता ,और पक्ष को उसके हर गलत नीति और
भ्रष्टाचार पर चौतरफा घेरता, तो बेचारा आम आदमी क्यों राजनीति की पेचीदगी
में पड़ता !!
पर जिन्हें नही मानना था,वो नही माने !!लेकिन आज जब खुद भाजपा
के भीष्मपिता सच्चाई बोल गए, तो शायद भाजपा को भी
इसका एहसास हो जाए !! आडवाणी ने एक साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस
से तो लोगों का विश्वास उठ ही चुका है, लेकिन " भाजपा से भी जनता का
मोहभंग हो चुका है" !!आडवाणी ने माना कि कर्नाटक में भ्रष्टाचार के मुद्दे
पर आरोप झेल रहे येदुरप्पा पर निर्णय लेने में हुई देरी ने भाजपा की
विश्वसनीयता को कम किया !!मतलब मान सकते हैं कि आम आदमी का राजनीति में आने
का फैसला बिलकुल ठीक था,क्यूंकि अब तो खुद राजनीतिक दल मानने लगे हैं,कि
जनता उनसे थक चुकी है!!
When we
decided to join politics, the BJP and its supporters were the ones who
were taken aback the most. We kept on saying that leave alone the govt,
even if the opposition kept its promise of scrutinizing every govt
decision and hold it accountable for its misdeeds, the common man
wouldn't be forced to get strangled into the complexities of politics.
But they didn't listen to us.
And now today, when BJP's strong man
said what was meant to be said way earlier, BJP should atleast realize
now. He said that it is not only the Congress but people's faith in BJP
has also deteriorated. He agreed that the decision to take action
against Yedurappa was delayed and this further damaged their image. So,
we all can conclude that Aam Aadmi's decision to join active politics
was correct as politicians have themselves realized that people are now
fed of them.
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