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सोमवार, 19 नवंबर 2012

मप्र में किसानों का चिता सत्याग्रह!

मध्य प्रदेश के कटनी जिले में उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहीत होने से बचाने के लिए किसानों ने चिता सत्याग्रह शुरू किया है। प्रशासन पुलिस की मदद से निजी कम्पनी के ताप विद्युत संयंत्र के लिए जमीन अधिग्रहीत करना चाहता है, मगर किसानों के आक्रामक तेवरों से ऐसा हो नहीं पा रहा है।



कटनी जिले की बरही तहसील में वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड की ताप बिजली संयंत्र स्थापित करने की योजना है। इसके लिए सरकार ने कम्पनी को अपने खाते की जमीन तो उपलब्ध करा दी है, और शेष जमीन अधिग्रहीत करने की कवायद जारी है। लेकिन बुजबुजा और डोकरिया गांव के किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन देने को राजी नहीं है। इसी को लेकर किसानों व प्रशासन के बीच तकरार बनी हुई है। भूमि अधिग्रहण से 230 परिवार प्रभावित होंगे।

दोनों गांवों के किसानों ने विरोध के लिए चिता सत्याग्रह का सहारा लिया है। किसानों ने अपने खेतों में चिता सजा रखी है और जमीन अधिग्रहीत होने पर जान देने की धमकी दी है। आलम यह है कि जैसे ही प्रशासनिक अमला जमीन अधिग्रहण के लिए पहुंचता है, तो किसान परिजनों के साथ किरोसीन का तेल लेकर चिता पर बैठ जाते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल सिंह बताते हैं, "यह जमीन किसानों के पूर्वजों की है और उन्हें इसकी वाजिब कीमत भी नहीं मिल रही है। सिंचित को असिंचित बताकर मुआवजा दिए जाने की तैयारी है। किसान अपने को ठगा महसूस कर रहा है लिहाजा वह जान नहीं देगा तो क्या करेगा। जमीन जाने पर उनके भूखे मरने तक की नौबत आ सकती है।"

उन्होंने कहा कि इसी कारण से किसानों ने चिता सत्याग्रह को विरोध का हथियार बनाया है। बुजबुजा और डोकरिया गांव के खेतों का नजारा निराला है, यहां पिछले कई माह से चिताएं सजी हुई हैं। इन चिताओं पर नौनिहालों से लेकर बुजुर्ग तक बैठे नजर आते हैं। किसानों कहना है कि वे पूर्वजों की जमीन पर मर तो सकते हैं, मगर जमीन किसी को नहीं देंगे।

दो दिन पहले इलाके में पहुंचे प्रशासनिक अमले को एक बार फिर किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। एक तरफ किसान चिता पर बैठे थे तो दूसरी ओर उन्होंने सड़क मार्ग को अवरुद्घ कर दिया था। परिणामस्वरूप संभागायुक्त से लेकर पुलिस उपमहानिरीक्षक को कई किलोमीटर तक पैदल रास्ता तय करना पड़ा।

जनता दल युनाइटेड (जदयू) के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद यादव का कहना है, "इस इलाके में पुलिस व प्रशासन वेलस्पन कंपनी के नुमाइंदों के तौर पर काम कर रही है। आलम यह है कि पुलिस जवानों को सरकारी व निजी भवनों में ठहराया गया है जो ग्रामीणों के साथ कभी भी बर्बर व्यवहार कर सकते हैं। प्रशासन इस इलाके को पुलिस के बल पर खाली कराने पर तुला है। वहीं किसान किसी भी हद तक जाने का तैयार हैं।"

किसानों के साथ जोर जबरदस्ती की बात को खारिज करते हुए कटनी के जिलाधिकारी अशोक सिंह ने बताया कि वेलस्पन कंपनी को कुल 1300 एकड़ जमीन की जरूरत है, इसमें से कम्पनी 800 एकड़ जमीन खरीद चुकी है और 500 एकड़ जमीन किसान देना नहीं चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि किसान खरीदी गई जमीन पर भी काम करने से रोक रहे हैं, लिहाजा प्रशासन खरीदी गई जमीन पर काम कराने में कंपनी की मदद कर रहा है।

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