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मंगलवार, 5 मार्च 2013

अब किसान कर्ज माफी योजना में घोटाला


सरकारी किसान कर्ज माफी योजना में भारी पैमाने पर घोटाला हुआ है। इसके 22 प्रतिशत मामले फर्ज़ी हैं। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की इस बाबत एक रिपोर्ट संसद में पेश की गई है।
सीएजी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल 2011 से मार्च 2012 में सरकारी स्कीम के भीतर जिन 90,000 मामलों में कर्ज की माफी दिखाई गई है, उनमें लगभग 20 हजार मामले फर्ज़ी थे। इन फर्ज़ी मामलों में जिस धन को किसानों के कर्ज़ के तौर पर दिखाया गया है, उसे बैंकों के अधिकारी गटक कर गए हैं।

रिपोर्ट से यह बात उभर कर आई है कि इस योजना के तहन न केवल बड़े पैमाने पर जरूरत मंद किसानों को नजरअंदाज किया गया, बल्कि काफी संख्या में ऐसे किसानों को योजना का लाभ पहुंचाया गया जो इसके पात्र ही नहीं थे।

यह बताया गया है कि अप्रैल 2011 से मार्च 2012 तक 25 राज्यों में 92 जिलों में स्थित ऋणदात्री संस्थाओं की 715 शाखाओ में मुल 90,576 किसानों के खातों को क्षेत्रीय लेखापरीक्षा में शामिल किया गया। 80,299 खाते जिन्हें ऋण माफी और ऋण राहत दी गई, उनमें से 8.5 प्रतिशत मामलों में लाभार्थी न तो ऋण माफी के और न ही ऋण राहत के हकदार थे।

रिपोर्ट में इस बात की चर्चा है कि माफ किए गए मामलों में 34 फीसदी में किसानों को कर्ज माफ कर दिए जाने का प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया है। दरअसल, तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भारत के कई हिस्सों में किसान कर्ज़ में दबे हुए हैं। वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं।

गौरतलब है कि महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट मनमोहन सिंह सरकार के लिए हाल के दिनों में मुश्किलों का कारण बनती रही है। इससे पहले 2-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हुए घोटाले का मामला भी महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट की वजह से सामने आ पाया था, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी। साथ ही कई राजनेताओं को जले की हवा खानी पड़ी थी। उसी तरह कोयला खदानों के आवंटन में हुआ घोटाला का मामला भी महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से ही उजागर हुआ था।
 

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