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सोमवार, 11 मार्च 2013

राम सिंह की खुद ख़ुशी :- इन्साफ नही नाकामी!

कल रात तिहाड़ जेल में राम सिंह ने खुद को फांसी लगा ली!

वही राम सिंह जिसने अपने बाकी साथियों के साथ मिलकर दामिनी को ऐसी दुर्दांत यातनाएं दी थी कि इंसानियत ज़ार ज़ार रोई थी. उसी राम सिंह ने अपनी मर्ज़ी से अपने लिए एक आसान मौत चुन ली.




उसके जैसे कायर से यही उम्मीद की जा सकती थी. पर उसकी कायर मौत भी हमारे देश की व्यवस्था, कानून और सुरक्षा पर सवालिया निशाँ लगा गयी.

हमारी पहली हार थी जब दामिनी की बोटियों को राजधानी की सड़कों पर गिद्धों की तरह नोच गया, और पुलिस कुछ नही कर पायी. फिर इतने बड़े देश में हम उसे इलाज नही दे सके, और 80 किलोमीटर के सिंगापुर भेज दिया,वहां से भी उसकी लाश ही बच पायी ,जिसे आनन फानन में सरकारी तरीके से फूंक दिया गया !

हमारा कानून इतना लचर है कि कि अपराधी को वक़्त पर सजा नही देता और राम सिंह जैसे वहशी बलात्कारी बड़ी आसानी से मन मर्ज़ी का कुकृत्य करके मन मुताबिक़ सजा चुन लेते हैं. तिहाड़ जैसी बड़ी जेल में जब सुरक्षा का ये हाल है,तो बाकि जगह क्या उम्मीद की जा सकती है.

ये पहली घटना नही,इससे पहले भी शेयर दलाली मामले में हर्षद मेहता, गाज़ियाबाद का अस्थाना इन सबने यही आत्महत्या का रास्ता चुन कर केस
को कमज़ोर किया है.

आखिर कब हम इस देश में एक बेहतर कानून और पुख्ता व्यवस्था पायेंगे ?

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