Mere words won't suffice, if you can't act, you don't deserve to be called the 'Fourth Pillar of Democracy'.
दामिनी-आन्दोलन
के समय ,जब दिल्ली फुलिस ने अपने कमीशन-अर श्री निर्लज्ज कुमार और उनके
आकाओं के कहने पर अपने ही एक बहादुर साथी स्वर्गीय सुभाष तोमर की लाश पर
घटिया राजनीती शुरू की थी तभी से हम सब को शक था कि बेगुनाह लोगों को फँसा
कर शांतिपूर्ण आन्दोलनों को कुचलने की साज़िश सरकार करेगी ! आठ बेगुनाहों
पर क़त्ल का फर्जी मुकद्दमा दर्ज किया गया ! कल हाईकोर्ट में दिल्ली फुलिश
ने कुबूल किया की वो आठों लोग बेगुनाह थे,गलती हो गयी ! हम तो इस मामले को
कोर्ट में ले गए हैं और सुप्रीम कोर्ट तक ले भी जायेंगे किन्तु देश के एक
बड़े पत्रकार राजदीप सरदेसाई राजीव प्रियदर्शी
ने उस वक़्त ट्विटर पर वादा किया था कि अगर दिल्ली पुलिस झूंठ बोल रही है
तो वो उसे और सरकार को छोड़ेंगे नहीं ! आशा है राजदीप आप अपना वादा
निभाएंगे ! हम सब आपका सम्मान करते हैं आप भी अपने वादे का करें !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें