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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

सेतु समुद्रम और आप.................

Photo: भारत दुनिया का अभागा ऐसा जनतंत्र है जहा जन की नहीं चलती है और उन पर सरकार अपनी मर्जी के कानून थोपती है !!

अगर Referendum(जनमत संग्रह) और Initiative (पहल) होता तो हम जैसे आस्था से जुड़े लोग जो सेतुसमुद्रम को नहीं तुडवाना चाहते वो सारे लोग सरकार को बाध्य कर सकते थे , सेतुसमुद्रम को न तोड़ने का कानून बनवाकर ।
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पर कैसे ?
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यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधान सभाओं द्वारा पारित किसी भी कानून को खारिज कर सके अथवा बदल सके । इसे जनमत संग्रह ( Referendum ) कहते हैं । इसी तरह से यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधानसभाओं को कोई भी नया कानून बनाने के लिए बाध्य कर सके । इसे पहल ( Initiative ) कहते हैं ।

दुनिया के पांच देशों को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी देशों में जहाँ - जहाँ जनतंत्र है , कानून बनाने में सीधे सीधे जनता की भागीदारी होती है । भारत भी उन अभागे 5 देशों में से एक है जहाँ जनमत संग्रह(Referendum ) और पहल (Initiative) लागू नहीं है ।

( कुछ लोग पूछ रहे थे, आपकी क्या राय है सेतु समुद्रम पर ? तो आशा करता हूँ , उन्हें जवाब मिल गया होगा !!भारत दुनिया का अभागा ऐसा जनतंत्र है जहा जन की नहीं चलती है और उन पर सरकार अपनी मर्जी के कानून थोपती है !!

अगर Referendum(जनमत संग्रह) और Initiative (पहल) होता तो हम जैसे आस्था से जुड़े लोग जो सेतुसमुद्रम को नहीं तुडवाना चाहते वो सारे लोग सरकार को बाध्य कर सकते थे , सेतुसमुद्रम को न तोड़ने का कानून बनवाकर ।
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पर कैसे ?
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यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधान सभाओं द्वारा पारित किसी भी कानून को खारिज कर सके अथवा बदल सके । इसे जनमत संग्रह ( Referendum ) कहते हैं । इसी तरह से यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधानसभाओं को कोई भी नया कानून बनाने के लिए बाध्य कर सके । इसे पहल ( Initiative ) कहते हैं ।

दुनिया के पांच देशों को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी देशों में जहाँ - जहाँ जनतंत्र है , कानून बनाने में सीधे सीधे जनता की भागीदारी होती है । भारत भी उन अभागे 5 देशों में से एक है जहाँ जनमत संग्रह(Referendum ) और पहल (Initiative) लागू नहीं है ।

( कुछ लोग पूछ रहे थे, आपकी क्या राय है सेतु समुद्रम पर ? तो आशा करता हूँ , उन्हें जवाब मिल गया होगा !!

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