अगर Referendum(जनमत संग्रह) और Initiative (पहल) होता तो हम जैसे आस्था से जुड़े लोग जो सेतुसमुद्रम को नहीं तुडवाना चाहते वो सारे लोग सरकार को बाध्य कर सकते थे , सेतुसमुद्रम को न तोड़ने का कानून बनवाकर ।
.
पर कैसे ?
.
यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधान सभाओं द्वारा पारित किसी भी कानून को खारिज कर सके अथवा बदल सके । इसे जनमत संग्रह ( Referendum ) कहते हैं । इसी तरह से यदि जनता चाहे तो संसद अथवा विधानसभाओं को कोई भी नया कानून बनाने के लिए बाध्य कर सके । इसे पहल ( Initiative ) कहते हैं ।
दुनिया के पांच देशों को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी देशों में जहाँ - जहाँ जनतंत्र है , कानून बनाने में सीधे सीधे जनता की भागीदारी होती है । भारत भी उन अभागे 5 देशों में से एक है जहाँ जनमत संग्रह(Referendum ) और पहल (Initiative) लागू नहीं है ।
( कुछ लोग पूछ रहे थे, आपकी क्या राय है सेतु समुद्रम पर ? तो आशा करता हूँ , उन्हें जवाब मिल गया होगा !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें