हर 5 साल में एक बार, चुनावो के पहले अचानक से
हमारे नेता धर्म गुरु बन जाते है. वो हमें बताने लगते है की हमारा धर्म
क्या है, वो बताने लगते है की की अभी अचानक से हमारा धर्म खतरे में पड़ गया
है और वो ही हमारे धर्म की रक्षा कर सकते हैं. वो हमें सिखाने
लगते है की कैसे दुसरे धर्म के लोगों से लड़ के या नफरत कर के हम अपने
धर्म की रक्षा कर पाएंगे. वो बताने लगते है की मुझे वोट दो और मेरी सरकार
बनते ही मै इस धर्म का उत्तान कर दूंगा.
वो बताने लगते है की भ्रष्टाचार, महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, जमाखोरी, बढ़ता अपराध ये सब कोई समस्या नहीं है, अचानक से आया ये धर्म पर खतरा ही सबसे बड़ी समस्या है.
मुझे आज तक नहीं समझ आया की ये धर्म पर खतरा हर 5 साल में ही क्यों आता है? मै सोचता हूँ की हमारा कोई भी धर्म हमें ये तो नहीं सिखाता की दुसरो से नफरत करो, या दूसरों ये लड़ो. धर्म तो प्रेम से मिलजुल के रहना और अपने अपने इश्वर की भक्ति करना सिखाता है.
वो बताने लगते है की भ्रष्टाचार, महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, जमाखोरी, बढ़ता अपराध ये सब कोई समस्या नहीं है, अचानक से आया ये धर्म पर खतरा ही सबसे बड़ी समस्या है.
मुझे आज तक नहीं समझ आया की ये धर्म पर खतरा हर 5 साल में ही क्यों आता है? मै सोचता हूँ की हमारा कोई भी धर्म हमें ये तो नहीं सिखाता की दुसरो से नफरत करो, या दूसरों ये लड़ो. धर्म तो प्रेम से मिलजुल के रहना और अपने अपने इश्वर की भक्ति करना सिखाता है.
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