Translet

बुधवार, 19 सितंबर 2012

ईंधन की कीमत बढ़ाने के बावजूद राजकोषीय घाटा ज्यादा होगा


 विश्लेषकों का कहना है कि देश का राजकोषीय घाटा डीजल की कीमत बढ़ने से अर्जित होने वाले राजस्व के बावजूद बजट में घोषित लक्ष्य 5.1 फीसद से अधिक होगा। मुख्य तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों पर दी जाने वाली सब्सिडी के कारण देश का राजकोषीय घाटा बजट में अनुमानित 5.1 फीसद को पार कर जाएगा। ऐसा डीजल की कीमत में 5 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी और हर परिवार के लिए सब्सिडी वाले रसोई गैस की आपूर्ति छह सिलिंडर तक सीमित रखने से अर्जित राजस्व को शामिल करने के बावजूद होगा।
एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री :भारत और आसियान: लीफ लायबेकर एस्केसेन ने कहा, ‘‘उक्त पहलों से सिर्फ राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण लगेगा लेकिन राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी रोकी नहीं जा सकती।’’
एचएसबीसी के अनुसार ईंधन में बढ़ोतरी से प्राप्त राजस्व को भी शामिल कर दिया जाए तब भी 2012-13 का राजकोषीय घाटा बढ़कर 5.8 फीसद हो जाने की आशंका है जबकि बजट में इसके सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 फीसद के बराबर रहने का अनुमान है।
सिटीग्रुप ने शोध रिपोर्ट में

कहा कि कीमत वृद्धि सकारात्मक है और इससे तेल कंपनियों का घाटा 20,300 करोड़ रुपये कम होगा। लेकिन इसके बावजूद यह महत्वपूर्ण है कि खुदरा मूल्य अभी भी वैश्विक कीमत से कम है।
इसमें कहा गया है कि अगर मौजूदा सब्सिडी प्रणाली में बदलाव नहीं किया गया तो सरकार की नुकसान में हिस्सेदारी बढ़ाकर 1,00,200 करोड़ रुपये हो जाएगी जो वित्त वर्ष 2011-12 में 83,500 करोड़ रुपये थी।
सिटी ग्रुप की अर्थशास्त्री रोहिणी मलकानी ने रिपोर्ट में कहा है, ‘‘व्यय को देखते हुए हमारा मानना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट में 5.1 प्रतिशत अनुमान की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का 5.9 प्रतिशत हो जाएगा।’’       
बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच इंडिया के अर्थशास्त्री इंद्रनील सेन गुप्त ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘देश के राजकोषीय घाटे को लेकर काफी चर्चा हुई है हालांकि यह आज हर आर्थिक समस्या -कम वृद्धि दर, उच्च मुद्रास्फीति, रुपए में कमजोरी- के लिए राजकोषीय घाटे को जिम्मेदार ठहराना सबका प्रिय शगल है। फिर भी हमें उम्मीद नहीं है कि भारत की राजकोषीय स्थिति निकट भविष्य में सुधरेगी।’’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें