स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े घोटाले के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह होने के बावजूद जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर सवाल का संतोषजनक जवाब होने का दम भरते हैं तो फिर जाहिर है कि उनके मंत्री भी कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र हैं। फिर मनमोहन मंत्रिमंडल में तो बड़बोले मंत्रियों की संख्या भी अच्छी-खासी है। सबसे पहले ताजातरीन कोयला घोटाले की ही बात करें। पेशे से वकील, पर एक साथ दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों, मानव संसाधन विकास और संचार का कार्यभार संभाल रहे कपिल सिब्बल ने बिना जांच ही प्रधानमंत्री को 'क्लीन चिट' देते हुए फरमाया कि वह अपने प्रधानमंत्री को अच्छी तरह जानते हैं, मनमोहन सिंह कभी कुछ गलत नहीं कर सकते। इसलिए उन पर आरोप लगाने वाले ही गलत हैं। यह वही सिब्बल हैं, जिन्होंने टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार रुपये के नुकसान के 'कैग' के आकलन को नकारते हुए शून्य क्षति का दावा किया था। ऐसे में पेशे से वकील एक और मंत्री सलमान खुर्शीद चाटुकारिता स्पर्धा में कैसे पीछे रह जाते? सो, उन्होंने फरमाया कि मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री होना देश का सौभाग्य है और कोयला घोटाले में उनका इस्तीफा मांगते हुए विपक्ष द्वारा संसद ठप्प करना दुर्भाग्यपूर्ण। इसी बीच एक और बड़बोले मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बोलों ने भी जनता के जख्मों पर खूब नमक छिड़का। सपा से कांग्रेस में आये बेनी ने फरमाया कि वह तो महंगाई से खुश हैं, क्योंकि किसानों को इससे फायदा हो रहा है, और यही कांग्रेस व इस सरकार की नीति है। आश्चर्य है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महंगाई की मार से त्रस्त आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है, पर महंगाई के मोगेंबो बेनी फिर भी खुश हैं।
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