Translet

बुधवार, 6 मार्च 2013

अनशन अनशन अनशन अनशन ....


अनशन पर अनशन, अनशन पर अनशन !! किसी को फर्क नही पड़ा !! हम भूखे सड़ते रहे, वो खिल्ली उड़ाते रहे !! पर एक फायदा हुआ कि हम जनता को एकजुट ले आये !! लोग लोकतंत्र में तानाशाह हो चुकी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए, सवाल पूछने लगे, विरोध करने !! पर अब भी आम आदमी के मन का डर नही गया !! अभी भी व्यक्तिगत रूप से वो साहस नही आया कि खुद अपने दम पर जिसे सड़क से उठा संसद तक भेजा, उसकी आँखों में आँख डाल कर ये कह सके कि आप गलत कर रहे हैं, और ये पूछ सके कि आपने ऐसा क्यों किया !! अरविन्द अनशन नही कर रहे, ये उपवास है !! उपवास किसी के खिलाफ, या किसी से मांग मनवाने के लिए नही है, बल्कि ये अपने अन्दर का हौसला उसी के जैसे हर आम आदमी में पैदा करने के लिए किया जा रहा है !! इस उपवास का मकसद है कि भीड़ में छुपकर "हम इसका विरोध करते हैं", कि जगह हर शख्स आँखों में आँख डाल कर दहाड़ सके कि "मैं इसका विरोध करता हूँ " !! हर आम आदमी खुद में एक आन्दोलन बन जाए, एक इन्कलाब बन जाए !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें