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बुधवार, 20 मार्च 2013

आखिर किस से डरते है हमारे नेता?

जबकि देश मे आम जनता ख़ासकर, महिलाएँ रोज़ सुरक्षा के अभाव मे अनहोनी घटनाओं की शिकार हो रही है, ऐसे मे हमारे कई नेता ज़ेड प्लस सुरक्षा का आनंद उठा रहे हैं !! जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई मे सवाल उठाया था, की प्रधानमंत्री, ग्राह्मंत्री आदि संवैधानिक पदों को छोड़ दिया जाए तो अन्य नेताओं को सुरक्षा देने का कोई सवाल नही उठता, वहीं इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद और बसपा सांसद बृजेश पाठक ज़ेड प्लस सुरक्षा को भोग रहे हैं !! बेनी प्रसाद का कहना है क़ी उन्हे धमकी भरे फ़ोन आते हैं, इसलिए उन्हे सुरक्षा लेनी पड़ती है !! उनसे जब पूछा गया की क्या किसी मंत्री के लिए ये सुरक्षा लेना उचित है, तो वो अपने छत्तीसगढ़ के दौरों का हवाला देने लग गये !! चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान कई नेताओं की सुरक्षा हटाई गयी पर उसके जाते ही नेताओं ने जान के ख़तरे का हवाला देते हुए ज़ेड प्लस सुरक्षा की माँग कर दी है !! कुछ ने तो २ कदम आगे बढ़ कर मनपसंद अर्धसैनिक कमांडो की माँग की हैं !! ये नेता जनता की सेवा के लिए संसद गये और अब इन्हे अपनी जान जनता की सुरक्षा से ज़्यादा प्यारी है !!

पर हमे हमारी जान की परवाह नही !! देश की सेवा करने मे जान चली भी जाए, तो हम पीछे नही हटेंगे !! ना हम लाल बत्ती की गाड़ियों मे घूमेंगे, और ना ही कोई सुरक्षा लेंगे !! हमारा मानना है क़ी यदि आज नेता अपनी सुरक्षा का मोह छोड़ दें, तो जनता खुद सुरक्षित हो जाए !! पर क्या इतना बड़ा ज़िगर है इन नेताओं मे ? बताइए........
Photo: जबकि देश मे आम जनता ख़ासकर, महिलाएँ रोज़ सुरक्षा के अभाव मे अनहोनी घटनाओं की शिकार हो रही है, ऐसे मे हमारे कई नेता ज़ेड प्लस सुरक्षा का आनंद उठा रहे हैं !! जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई मे सवाल उठाया था, की प्रधानमंत्री, ग्राह्मंत्री आदि संवैधानिक पदों को छोड़ दिया जाए तो अन्य नेताओं को सुरक्षा देने का कोई सवाल नही उठता, वहीं इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद और बसपा सांसद बृजेश पाठक ज़ेड प्लस सुरक्षा को भोग रहे हैं !! बेनी प्रसाद का कहना है क़ी उन्हे धमकी भरे फ़ोन आते हैं, इसलिए उन्हे सुरक्षा लेनी पड़ती है !! उनसे जब पूछा गया की क्या किसी मंत्री के लिए ये सुरक्षा लेना उचित है, तो वो अपने छत्तीसगढ़ के दौरों का हवाला देने लग गये !! चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान कई नेताओं की सुरक्षा हटाई गयी पर उसके जाते ही नेताओं ने जान के ख़तरे का हवाला देते हुए ज़ेड प्लस सुरक्षा की माँग कर दी है !! कुछ ने तो २ कदम आगे बढ़ कर मनपसंद अर्धसैनिक कमांडो की माँग की हैं !! ये नेता जनता की सेवा के लिए संसद गये और अब इन्हे अपनी जान जनता की सुरक्षा से ज़्यादा प्यारी है !!

पर हमे हमारी जान की परवाह नही !! देश की सेवा करने मे जान चली भी जाए, तो हम पीछे नही हटेंगे !! ना हम लाल बत्ती की गाड़ियों मे घूमेंगे, और ना ही कोई सुरक्षा लेंगे !! हमारा मानना है क़ी यदि आज नेता अपनी सुरक्षा का मोह छोड़ दें, तो जनता खुद सुरक्षित हो जाए !! पर क्या इतना बड़ा ज़िगर है इन नेताओं मे ? बताइए........

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