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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

आम आदमी पार्टी के आलोचकों से कुछ प्रश्न:

* यदि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के सत्ता में आने की संभावना नगण्य है तो समस्या कहाँ है ?
* यदि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी सत्ता में आ भी जाती है तो वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की अपेक्षा क्या अधिक बुरा होगा ?
*
यदि ग्राम सभा को मामलों में नीति बनाने का अधिकार देना गलत है तो यह कहाँ तक उचित है की संसद वैसी ही नीति बनाए ?
* हमारे राजनेता संसद को कब्जे में रखकर इसी प्रकार मनमानी करते रहें और जनता को कोई वकल्प नहीं दिखा तो जनता अगर लीबिया जैसे हर समस्या का समाधान राजनेताओं को सूली पर चढ़ाना मान ले तो जनता का क्या दोष ?
* भारत में अभी वैसी स्थिति नहीं है क्योंकि भारत में लोकतंत्र है जहां राजनेताओं को वोट की सूली पर चढाने का अधिकार जनता को प्राप्त है । ऐसे में यदि कोई दल यह विकल्प जनता के सामने रखे तो इतनी तिलमिलाहट क्यों ?
* पक्ष-विपक्ष के नाम पर बने एक राजनीतिक गिरोह को तोड़ने का काम अन्ना हजारे करें, रामदेव करें, अरविन्द केजरीवाल करें, आम आदमी पार्टी करे या मीडिया -उसकी समीक्षा होनी चाहिए या आलोचना ?

6 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी2/21/2013

    बिलकुल सही है कुछ लोगो का काम ही है अरविन्द भाई के बारे में आलोचना करना..

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  2. गिरोह को तोडने के लिये जिनका आपने उल्लेख किये है उनको आप साथ लेकर क्यो नही चल रहे है ?
    विरोध हमे इस बात का है

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    1. बेनामी2/21/2013

      virendra jee, kya anna hajaare baba ramdev v media yah samjhatee hai ki arvind kejariwal koi gunaah kar rahe hain, aakhir unki is duree ka kaaran kya hai yah to ve log hi behatar jaane - jahan tak mujhe maalum hai arvind kejariwal ne to unhe saath aane se nahi roka hoga

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  3. हम चल रहे है, इस समय हमारी अपनी एक राजनेतिक पार्टी है.
    हम किसी को अपने साथ चलने से मना नही कर रहे जो व्यक्ति हमारी पार्टी के सिधान्तो और नीतियों ओ का समर्थन करता है ..
    उसका स्वागत है..

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  4. वीरेंद्र जी आपके कमेन्ट से ऐसा क्यों लग रहा है की आप चाहते थे अरविन्द और अन्ना बस भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट पैदा करने की मसीन बन जाए

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  5. यकीन मानिये भाइ साहबो केजरीवाल जी हमारे लिये आदर्ष है पर आदर्श तो भगवान क्रिष्ण भी है पर उनकी तरह हम भी सोलह हजार एक सौ आठ शादी तो नही कर सकते ना . उसी तरह जब उन्होने इस भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाई तब उनके साथ करोडो हाथ उठे . लेकिन इन्होने क्या किया . रामदेव जी को अलग कर दिया , कारण क्योकि इनके शरीर से भगवा की बु आती है . राष्ट्रिय स्वयमसेवक के लोगो को अलग कर दिये कारण वही भगवा . तो आप बस इतना बता दो कि कोइ अपने धर्म मे रह कर अन्याय की लडाई लडे तो अधर्म है क्या ?
    अब आप मुझे भी आर एस एस का आदमी समझोगे जबकि यहा भी मेरा कोई नाता नही है . और आप इसी तरह अकेले ही नजर आने लगोगे इस तरह यहा के [ काटजु के अनुसार90%बेवकुफ] लोग सन47को आजादि का दिन मानकर काग्रेस को ही चुनते रहेगे .

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