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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

आम आदमी पार्टी और "आप"

कई मित्रो की हमसे ये शिकायत रहती है,की जब देश में पहले से कई राजनेतिक पार्टियाँ है तो आखिर जरूरत क्या थी अरविन्द केजरीवाल कोएकनईराजनेतिकपार्टी  "AAP"बनानेकी!
कई लोग जो अब तक अरविन्द केजरीवाल को समझ नही सके है सोचते है अरविन्द केजरीवाल के अंदर राजनेतिक स्वार्थ आ गया है, वो प्रधानमंत्री बनना चाहते है!
इन आरोपों को लगाने वाले लोग सर्वथा अरविन्द द्वारा किये गये समाज-सेवा के कार्यो को नजरअंदाज करते है, वो भूल जाते है की ये वही अरविन्द है जिन्होंने "परिवर्तन' नामक संस्था बनाकर सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रयास किया, ये वही अरविन्द है जिन्होंने "मदर टेरेसा" के साथ मिलकर सेवा कार्य किये और अन्ना के साथ भ्रष्टाचार के विरुध एक बड़ा आन्दोलन चलाया!
अरविन्द पर आरोप लगाने वाले भूल जाते है की बार-बार के अनशन-आंदोलनों के बाद भी इस देश का राजनेतिक समाज किस तरह सोया रहा और उसने इस देश के आम आदमी को यंहा तक कहा की कानून संसद  में बनते है, सडको पर नही!

कई राजनेताओ ने हमे ललकारा अगर हिम्मत है तो राजनीती में आओ, अपनी पार्टी बनाओ, चुनाव लड़ो और फिर संसद में आकर अपनी बात करो. जिन्हें समझना होगा की अरविन्द जी को राजनीती में आने और राजनेतिक पार्टी बनाने की क्यों आवश्यकता पड़ी वो समझ जायेंगे और जिन्हें ये डर है की आम आदमी के राजनीती में आने से उन्क्की पार्टी को नुक्सान होगा वो प्रश उठाते रहेंगे!
कुछ मित्रो का तो यंहा तक कहना होता है की "आम आदमी पार्टी" मुलायम सिंह, मायावती जैसो की पार्टी का ही दूसरा संस्करण है और एक दिन ये पार्टी भी उनकी ही राह पर चलने लगेगी,  मैं उन म मित्रो से ये पूछना चाहूँगा की यदि उन्हें लगता है की "आप" की कुछ नीतिया, विचारधारा और "आप' का सम्विधान ऐसा है की वो उसे मुलायम और मायावती के रस्ते पर जा सकते है,तो वो क्यों नही "आप" के साथ आकर हमारी उन नीतियों को ठीक करने का प्रयास करते!
आखिर ये पार्टी 'आप'की है है, आपका स्वागत है, हमारी गलतिय बताने के और हाँ हमारी गलतियाँ बताने के साथ देश में एक नई राजनीती शुरू करने के लिए धन्यवाद देना मत भूलना!
पर आपका काम है सिर्फ आलोचना करना वो भी कई बार बिना तथ्यों के इस पोस्ट का लेखक एक 19वर्ष का आई.टी. स्टूडेंट है और वो आप बडो से उम्मीद करता है, आप भारत की परिवर्तन की इस मुहीम में "आप" का साथ देंगे ना की रोड़े अटकाएंगे!
धन्यवाद.......

aapsmachar@gmail.com

5 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी2/22/2013

    जो लोग खुद इतने सालो तक संसद में बैठ कर कुछ नही कर सकते वो इसी तरह देश के आम आदमियों पर प्रश्न उठाते है..
    जय आप

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  2. jin logon ki soch hi nakaratamk hogi vo ye hi soch sakte h, vo in sab baton se apne man ko santusth karte h

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    1. मक्खन लाल जी कभी ध्यान दें की ये कौन लोग है जो अरविन्द पर सवाल उठाते है तो हमे पता चलेगा की ये वही लोग है जो चाहते है "आम आदमी" कभी संसद में ना आने पाए..
      आखिर क्कुछ तो स्वार्थ होगा जो वो इतनी मेहनत कर रहे है आम आदमी पार्टी की जिससे वो ससंद में ना पहुच जाए

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  3. दिक्कत हमे आपके उद्देश्य से नही बल्कि दुख इस बात से है कि आप भी अन्ततह काग्रेस के व्यूह रचना मे फन्स ही गये . सबसे पहले मै ये बता दू कि जिन लोगो मे ये गलत फहमी है सार्वजनिक रुप से आम चुनाओ मे भारत मे जीस तरह सरकार बनती है उसे ही लोकतन्त्र कहते है उनसे मुर्ख कोइ नही है और जिस गान्धि के नाम लेकर आपने शुरुवात की है उन्ही गान्धी का नाम लेकर काग्रेस आज तक इस देश को लुट रही है . वर्ना राहुल सोनिया राजिव इन सब का गान्धी शब्द से कोई नाता नही . आप खाली जयप्रकाश नारायण जी कि आन्दोलन को फालो कर रहे है. और इसी व्यूह रचना के दम पर काग्रेस का कोई बाल बान्का करने की सामर्थ्य किसी मे हो नही पाता .

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  4. वेसे हमारी असली दुश्मन कांग्रेस कबसे हो गई?
    इस से साफ़ आहस हो रहा है की आप भी उन ही लोगो में से थे जो चाहते थे भगवान के भरोसे सब काम हो रहा है करता है कोई और अपना नाम हो रहा है ...........

    भाजपा को सत्ता में पहुचने के लिए नही हुआ था आन्दोलन

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