गुत्थी अज्ञाने की
देश की शुभचिंतक
ज्ञानी मण्डली से अनुरोध है कि कृपया अज्ञाने की गुत्थी सुलझाएं.
क्या व्यवस्था इसी
को कहते हैं ---
१.
देश की बहुत बड़ी जन संख्या गरीबी
रेखा से नीचे जीने के लिए मजबूर हों और गिने चुने शातिर, तिकड़मबाज, येन केन
प्रकारेण गुलछर्रे उड़ायें.
२.
देश की बहुत बड़ी युवा पीढ़ी
प्रभावी शिक्षा से वंचित रहे, रोजी रोटी की समस्या से जूझते रहे, अपने श्रम, शरीर और
जमीर को बेचकर भी मूलभूत सुविधाएँ न जुटा पाए, जबकि गुंडे और मवाली किस्म के तिकड़मबाज
अपने कई पुश्तों तक की भी आर्थिक सम्पन्नता पर आधिपत्य जमा बैठें.
३.
समाज की करीब ८० प्रतिशत
जनसंख्या दिन भर (साल के पूरे ३६५ दिन) कठिन श्रम में रहकर भी दो जून की रोटी और
मूल भूत सुविधाएं प्राप्त न कर पायें और सरकारी मशीनरी से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप
से जुड़े महानुभाव सेवक टोलियाँ, वेतन, भत्ता, पेंशन (और लूट के खुले लाईसेंस) जैसी
व्यवस्था के संरक्षण में अपने और अपने परिवार की आर्थिक सम्पन्नता दिन ‘सौ गुनी’
रात ‘हजार गुनी’ बढ़ाते चले जाएँ.
४.
देश के स्वयंभू कर्णधार राज
नेता (भले ही वास्तव में गुंडे और खूंखार अपराधी हों) तंत्र पर अपना कब्जा बना
अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ियों की आर्थिक सम्पन्नता बेहिसाब स्थापित कर देश के सारे
नियम क़ानून को धत्ता दिखायें और श्रम जीवी बहुसंख्यक अपने को असहाय और परावलम्बी
महसूस करें.
५.
देश और समाज की सुरक्षा और
व्यवस्था स्थापित करने हेतु गठित पुलिस और अर्ध सैन्य बल का बड़ा हिस्सा गुंडे,
मवालियों की सुरक्षा में कार्यरत रहे और शेष इन कुव्यवस्थाओं के खिलाफ न्याय की
मांग में संलग्न शांतिप्रिय युवाओं पर कहर बरसाए.
उम्मीद है, संपूर्ण
व्यवस्था परिवर्तन स्थापित करने के बाद ऐसी अनेकों और गुत्थियाँ सुलझ पाएंगी और
जनता के दरबार में स्थायी समाधान प्राप्त किया जा सकेगा. अन्याय का अंत
अवश्यम्भावी है.
वन्देमातरम.
६.
ग्राम सभा / पंचायत जब वो एक इकाई के रूप में काम करेगी तो से निम्न समस्याओ को समाधान होगा संभी बच्चे को शिक्षा, सबों को स्वास्थ्य, सभी नवजात शिशु को आंगनवाडी, माताओं को स्वास्थ्य सेवा, सभी इच्छु्क व्य्स्कत को रोजगार, स्वेच्छ वातावरण, सभी घरों में पेय जल एवं शौचालय, सडक एवं बिजली, सर्टीफीकेट आसानी से उपलब्ध, व्यस्क को सेवा एवं पेंसन, पुस्तकालय, सभी लोग साक्षर, जन वितरण, कृषी सुविधा का लाभ सब्सिडी केवल ग्राम सभा के माध्यम से मिले
जवाब देंहटाएंसडकें गरीबी और बेरोजगारी शिक्षा स्वास्थ्य व्यवस्था जमीन और उद्योग के मुद्दे लोगों की समस्याएं कृषि कला और संस्कृति वाणिज्य संचार शिक्षा वन एवं पर्यावरण खाद्य और सार्वजनिक वितरण शासन और प्रशासन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आवास उद्योग मूल संरचना श्रम एवं रोजगार कानून एवं न्याय बिजली और ऊर्जा ग्रामीण सामाजिक विकास परिवहन युवा एवं खेल ग्राम सभा को एक इकाई को बना ना जेसे एक गाव में करीब 1000 आदमी रहते है किसी पास 10 एकर किसी पास 1/2 और किसी पास कुछ भी नहीं सभी की मिला कर 500 एकर हो मानो और जिस की जितनी जमीन उसका उतना हिस्सा अब इकाई बनने से गाव में खाली पड़ी जमीन ग्रामसभा में जोड़ ले ( जैसे कोई क़ानूनी /किसी पास काम करने वाल कोई नहीं है और सरकारी जमीन जो खाली पड़ी और दो खेतो के बीच में छोटी छोटी पग डंडियों की जमीन )जिसके पास जमीन है वो काम नहीं करते और जिसके पास जमीन है वो काम के लिए शहर की तरह जाते है /अब इकाई होगी तो जिसके जमीन नहीं है वो वही गाव में काम करेगा / फसल आने के बाद जिसका जितना जमीन है उसको उतना हिस्सा दे बाद में जो खाली पड़ी जमीन का हिस्सा गरीबो और ग्राम सभा के संचालन में बाटे और गाव में अबला /छोटे बच्चे /बुजर्ग की देखभाल में लगाए /// गाव एक इकाई बनने से खर्चो में कमी आएगी /जैसे एक आदमी खाद ,डीजल,बीज खरीद में बार बार बाजार जाएगा / जैसे 1000 गाव वाले में से 500 आदमी बाजार जाएगे तो 500 आदमी का किराया बचेगा / एक साथ खरीद में जो पैसा बचेगा वो अलग / अब जो अगर कोई गाव वाशी ग्रामसभा में नहीं आते तो ............./ एक सरकारी सब्सिडी ग्राम सभा को ही मिले ... जब सब सदस्य ग्राम पंचायत /सभा में शामिल होंगे तो भर्ष्टाचार का सवाल कहाँ से पैदा होगा सर्टीफीकेट आसानी से उपलब्ध जब ग्राम सभा के दुवारा जब काम हो तो ये फर्जी काम नहीं होंगे