आम आदमी
आखिर कौन है यह आम आदमी
दिन रात की तिकडम
इधर उधर की भागम
ई-एम-आई की जुगाड में
फ़िरता है बज़ार में
सरे आम फ़िरता है
धूप में मरता है
टैक्स की मार में पिसता है
लेकिन उफ़ तक न करता है.............
आज तक कभी यह आम आदमी राजनीतिक गलियारे में नहीं दिखता था.... लेकिन आज आम आदमी की पार्टी बनी और बडी उम्मीद जगी आखिर यह आम आदमी की पार्टी आखिर सच में आम आदमी की पार्टी बनेगी ? भाई दूध का जला तो छाछ को भी फ़ूंक फ़ूंक कर पीता है सो इस आम आदमी की पार्टी को कसौटी पर कसना होगा और तभी इसकी नीयत पर लोगो को विश्वास होगा।
अब तक काँग्रेस कहती थी काँग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ... और वो हाथ तो आम आदमी ने छोड़ दिया.. अब ???????
जनता को आम आदमी आम आदमी बोल बोल कर यह सब लोग अपना अपना उल्लू सीधा करते घूम रहे है ... हम तो जैसे पहले थे
वैसे अब है ... और शायद ऐसे ही रहेंगे..
लेकिन इस समय राजनीतिक स्थिति बहुत अजीब हो चुकी है... और इस आम आदमी की पार्टी से हमें बहुत उम्मीदें हैं.. लेकिन साथ ही डर भी है की कहीं हर राजनीतिक दल की तरह इस आम आदमी की पार्टी ने आम आदमी को चोट पहुंचाई तो फ़िर आम आदमी इस चोट को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा....
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