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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

हम:युवा पीड़ी या फेसबुक पीड़ी?

मैं इस देश का एक १९ वर्ष का युवा आज अपने देश के युवाओ के लिए कुछ लिख रहा हूँ! पता नही मेरा सौभाग्य है की जिस देश में स्वामी विवेकानंद और भगत सिंह जैसे युवा हुए है उस युवा पीड़ी के बारे में लिख रहा हूँ! या दुर्भाग्य इस युवा पीड़ी का दुर्भाग्य है जो मेरे जैसा व्यक्ति लिख रहा है! आज ही अपनी वेब टेक्नोलॉजी की क्लास देकर जब बाहर आ रहा था तो में ने एक मित्र से प्रश्न किया, क्या तुम रात को सोये नही(निसंदेह उनकी आँखों को देखकर) तो उनका उत्तर था,"हाँ मैं रातभर फेसबुक मैं ऑनलाइन था!




इसलिए मैं जानता हूँ की इस पोस्ट को कोई गम्भीरता से नही पड़ने वाला, क्युकी जिस युवा पीड़ी की और से आज मैं लिख रहा हूँ! उसे लोग फेसबुक की पीड़ी कहते है, हमे कहा जाता हम यू-टयूब में अपनी जिंदगी खोजने वाले युवा है, बिग बॉस के घर निकले लोगो को अपना आदर्श मानने वाले युवा है! इसीलिए शायद हमसे पहले की  पीड़ी के लोग हमसे ये अपेक्षा ही नही करते की हम देश के लिए कुछ करेंगे!

हाँ मैं मानता हूँ की हम फेसबुक यूथ है, हमे किसी से प्यार भी सोसल नेटवर्किंग साइट्स पर होता है और रूठना और मनाना भी इन्ही साइट्स पर होता है,किसी से नफरत भी वन्ही होती है और उससे बदला भी वही लेते है! हमारी जिंदगी का एक अभिन्न अंग बन चुकी है सोसल नेटवर्किंग साइट्स पर इससे ये मानना गलत है की हम युवा कुछ नही कर सकते बस हमने फेसबुक में अपनी एक काल्पनिक दुनिया बना ली है और वंही खोये रहेंगे!


क्या वो हम ही युवा नही थे, जब एक ७४ साल का बुढा व्यक्ति(अन्ना हजारे) हमारे भविष्य के लिए दिल्ली मैं अनसन पर बैठा तो सर पर गाँधी टोपी, हाथो मैं तिरंगा और मुह मैं वन्देमातरम का नारा लगते हुए सडको पर उतर आये थे! क्या वो हम ही युवा नही थे जब इस देश में कारगिल का महा संकट आया तो हम ही युवा अपनी बड़ी कम्पनी की छोटी नौकरी और छोटी कम्पनी के बड़े पैकेज को लात मार कर सेना की भर्तियो के लाइन में लग गये थे ,जब हम लोग पैदा भी नही हुए थे या बहुत छोटे थे तब आप लोगो के समय मैं मस्जिद-मन्दिर के नाम पर इतनी लाशे इस देश में गिरी की लोग गिनती भूल गये, और ये हम ही युवा थे जब ३० सितम्बर २०१० को बाबरी विध्वस पर इलाहबाद हाई कोर्ट का फैसला आया तो इस देश मैं भाई-चारे की एक नई मिसाल पैदा की!

जब दुनिया भर के युवा चाहे लीबिया हो या मिश्र अपनी अपनी सरकारों के खिलाफ हथियार लेकर हिंसक आन्दोलन कर रहे थे, हम युवा दुनिया को एक अहिंसक आन्दोलन(अन्ना आन्दोलन) रहे थे, हम युवाओ ने इस देश मैं नये यूथ आइकन बनाये(अन्ना. केजरीवाल) समाज के लिए नये सेलेब्रिटी बनाये, मिडिया को आंदोलनों में भी मसाला दिया!
अब आगे आगे देखो इस देश के युवा और क्या क्या करते है :)

                                            "वेट एंड वाच"
वन्देमातरम!
जय युवा शक्ति

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