Translet

शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

राहुल कब सम्भालेंगे नई जिम्मेवारी?

आज अमर उजाला मैं तवलीन सिंह का एक लेख पड़ा, अच्छा लगा तो अपने ब्लॉग में अक्षरस लिख रहा हूँ...



राजधानी दिल्ली के राजनितिक गलियारों में कुछ दिनों से फिर अफवाहें गरम है राहुल गाँधी के मंत्री बनने की! ऐसी अफवाहे कई बार सुनने को मिली है, २००९ के आम चुनाव के बाद से, इसीलिए की तकरीबन तय हो गया था उसी समय की २०१२ में राहुल अपनी राजनितिक विरासत सम्भाल लेंगे, यानी प्रधान मंत्री बन जायेंगे या किसी महत्वपूर्ण मंत्रालय का जिम्मा सम्भालेंगे! तबसे छोटे कार्यकर्ताओ से लेकर वरिष्ट मंत्रियों तक कांग्रेस पार्टी का हर सदस्य अपना असली नेता राहुल गाँधी को मानता आया है!जों जगह कभी उनकी माता जी के हुआ करती थी, वह सोनिया जी के बीमार हो जाने के बाद राहुल की हो गई है! मेरे कांग्रेसी दोस्त चुपके से यह भी स्वीकार करते है राहुल जी अचानक गायब हो जाने की जो आदत है, वो उनको अच्छी नही लगती है! उत्तर प्रदेश का चुनाव हार जाने के बाद राहुल जी कंहा रहे है, वह इतनी राज की बात है अटकलें लगती रहती है! कभी अफवाह फेलती है की वह सउदी अरब में दिखे, तो कभी मालूम पड़ता है की वह सिंगापूर मैं है या फिर नई अफवाह शुरू हो जाती है की की वह अपनी माता जी के साथ यूरोप चले गये है छुट्टिया मनाने! वसे तो हिसाब रहता है पूरा की कोन सा संसद कंहा जाता है और कब जाता है, लेकिन सोनिया और राहुल गाँधी की बात अलग है! न कोई यह जानता है की वाह कब देश देश से बाहर जाते है और  न ही कभी पता लगता की वह एयर इंडिया से जाते है या किसी के प्राइवेट जहाज से! उनके वापस आ जाने के बाद ही किसी कांग्रेसी प्रवक्ता वर यह खबर मिलती है की वह वतन लौटकर आ गये है!

समस्या यह है की राजनीती में नेट्रत्व इस तरह की लूका-छिपी करके नही किया जा सकता!
जितनी जरूरत चुनावो के दौरान होती है राजनेताओ के नेट्रत्व दिखाने की, उतनी ही जरूरत होती है चुनावो के बाद, फिर चाहे चुनाव में जित मिली हो या हार!
लेकिन ऐसा लगता है की यह बात राहुल जी को समझाई नही गई है, सो बिहार मैं चुनाव हार जाने के बाद वह कई महीनों तक गायब रहे, और उत्तर प्रदेश के चनाव के बाद भी उन्होंने बिक्लुल ऐसा ही किया!कभी लोकसभा मैं उनकी झलक दिख भी जाती है, तो अक्सर वह चुप ही रहते है! पिछली बार उन्होंने भासन तब दिया था, जब कोई एक वर्ष प्रह्ल लोकपाल पर बहस हुई थी! उनकी चुप्पी, उनके गायब रहने के कारण कांग्रेस में जो मायूसी का माहोल पिछले दो वर्षो से बना हुआ हुआ है,  वह गहराता गया है!भ्रष्टचार के इल्जाम लगे है पिछले दिनों उनके अपने बहनोई पर, लेकिन राहुल जो इन इल्जामो के बारे में क्या सोचते है, कोई नही जानता! इल्जाम लगे उसके बाद देश के कानून मंत्री पर, लेकिन राहुल जी इन आरोपों के बारे में क्या सोचते है, कोई नही जानता! प्रधानमन्त्री ने आर्थिक सुधारों का एक नया दौर शुरू किया पिछले दिनों, लेकिन इन सुधारों के बारे में राहुल जी क्या सोचते है, कोई नही जानता!न ही उनकी तरफ से समने कभी दो शब्द सुने है उनकी सरकार की विदेश नीतियों के बारे में, या अरब देशो में हुए महान राजनीतिक परिवर्ण के बारे में! मन की गाँधी परिवार का दर्जा अपने देश में एक शाही परिवार का है, लेकिन फिर भी अधिकार है हमे उनके विचार जाने का! इसका मतलब यह नही है की वह विदेश यात्राओ पर नही जा सकते है! वह जाएँ जरुर जाए , लेकिन कम से कम इतना तो बताकर जाए की कंहा जा रहे है और किस वास्ते जा रहे है!
सो अगर इस बार अफवाहें निकलती है और राहुल जी शामिल हो जाए है मन्त्रिमंडल में,तो बहुत जरूरी है की वह अपने तौर-तरीके बदलने की तकलीफ करे! जनता के प्रतिनिधियों पर जनता का पूरा अधिकार होता है, लेकिन राहुल जी जब दिल्ली में होते है, तब भी तो दूर रहते है जनता से इतना की उनसे मिलना तकरीबन नामुमकिन होता है! कभी वह प्रकट हो जाते है दिल्ली की किसी शानदार मेह्फिर में अपने दोस्तों के साथ, लेकिन आम आदमी से तो तभी मिलते है, जब वह चनावो में प्रचार करने के लिए बहार निकलते है! दिल्ली के तुगलक लें स्थित उनके बंगले के आसपास अगर कोई आम आदमी भूलकर पहुंचता भी है, तो उसको फ़ौरन भगा दिया जाता है सुरक्षा के बहाने!
लोकतंत्र में इस तरह के शाही अंदाज नही होते!मंत्री बनते  है अगर राहुल गाँधी, तो उनके लिए जनता से दूर रहना आसन नही होगा! मंत्री बनते ही उनका उत्तरदायित्व बड जाएगा इतना की कम से कम पत्रकारों से दूर रहना तो मुश्किल ही होगा उनके लिए! वरना यूराज साहब ही रहे,तो उनके लिए बेहतर होगा!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें