साभार:-पत्रिका
रेल जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में कांग्रेस की 16 साल बाद वापसी कुछ अच्छी नहीं मानी जा रही है। हत्या जैसे संगीन मामलों में जेल जा चुके 'अधीर' को रेल राज्य मंत्री बनाया गया है। इससे पहले 1996 में सुरेश कलमाड़ी कांग्रेसी रेलमंत्री थे।
अधीर रंजन चौधरी विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल जा चुके हैं। इनमे से कुछ हत्या के संगीन मामले भी हैं।
कांग्रेस ने मंत्रिमंडल के फेरबदल में मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को रेल राज्य मंत्री बनाया है। अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति भवन में अंग्रेजी में शपथ ली।
तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके अधीर रंजन चौधरीपश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हैं। मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर लोकसभा सीट को उन्होंने वाम मोरचे के कब्जे से छीनकर कांग्रेस की झोली में डाल दिया था। गौरतलब हो कि प्रणब मुखर्जी के बाद अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के दूसरे मंत्री हैं।
अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाते हैं। ये वो मंत्री हैं जो गठबंधन के दौरान भी ममता और तृणमूल पर हमले का कोई मौका नहीं चूकते थे।
अधीर रंजन चौधरी ने 2004 और 2009 में जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से प्रणब मुखर्जी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। माना जाता है कि इसी की वजह से उन्हें कांग्रेस आलाकमान का समर्थन हासिल हुआ है।
अधीर रंजन चौधरी ने 15 साल की उम्र में ही स्कूल छोड दिया था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार में चौधरी विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल जा चुके हैं। इनमे से कुछ हत्या के संगीन मामले भी हैं।
अधीर रंजन चौधरी (adhir@sansad.nic.in) को मुर्शिदाबाद जिले के केतुग्राम में वर्ष 2003 में सीपीएम नेता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर 2005 को पुलिस ने दिल्ली से इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। चौधरी की जमानत याचिका को निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिए जाने पर उन्हें जेल भेजा गया था। कोलकाता हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को सितंबर 2007 को जमानत दी।
अगस्त 2010 में हत्या के एक अन्य मामले में अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य 14 अभियुक्तों को कलकत्ता हाईकोर्ट ने फिर से गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था। मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर में 2005 में 24 जुलाई की रात हनीफ होटल में उसके मालिक हनीफ शेख और उसके पुत्र ललटू शेख की हत्या कर दी गई थी।
देखना यह है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरी युपीए सरकार, कांग्रेस पार्टी के इन दागी नेताओं को मंत्री बनाकर, 2014 के आम चुनाओं में मतदाताओं को लुभाने में कितनी सक्षम साबित होती है।
तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके अधीर रंजन चौधरीपश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हैं। मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर लोकसभा सीट को उन्होंने वाम मोरचे के कब्जे से छीनकर कांग्रेस की झोली में डाल दिया था। गौरतलब हो कि प्रणब मुखर्जी के बाद अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के दूसरे मंत्री हैं।
अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाते हैं। ये वो मंत्री हैं जो गठबंधन के दौरान भी ममता और तृणमूल पर हमले का कोई मौका नहीं चूकते थे।
अधीर रंजन चौधरी ने 2004 और 2009 में जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से प्रणब मुखर्जी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। माना जाता है कि इसी की वजह से उन्हें कांग्रेस आलाकमान का समर्थन हासिल हुआ है।
अधीर रंजन चौधरी ने 15 साल की उम्र में ही स्कूल छोड दिया था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार में चौधरी विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल जा चुके हैं। इनमे से कुछ हत्या के संगीन मामले भी हैं।
अधीर रंजन चौधरी (adhir@sansad.nic.in) को मुर्शिदाबाद जिले के केतुग्राम में वर्ष 2003 में सीपीएम नेता की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर 2005 को पुलिस ने दिल्ली से इन्हें गिरफ्तार कर लिया था। चौधरी की जमानत याचिका को निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिए जाने पर उन्हें जेल भेजा गया था। कोलकाता हाई कोर्ट ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को सितंबर 2007 को जमानत दी।
अगस्त 2010 में हत्या के एक अन्य मामले में अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य 14 अभियुक्तों को कलकत्ता हाईकोर्ट ने फिर से गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था। मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर में 2005 में 24 जुलाई की रात हनीफ होटल में उसके मालिक हनीफ शेख और उसके पुत्र ललटू शेख की हत्या कर दी गई थी।
देखना यह है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में घिरी युपीए सरकार, कांग्रेस पार्टी के इन दागी नेताओं को मंत्री बनाकर, 2014 के आम चुनाओं में मतदाताओं को लुभाने में कितनी सक्षम साबित होती है।
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