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रविवार, 25 नवंबर 2012

आम आदमी कबूतर


बिल्ली के आते ही कबूतर अपनी आँखें बंद कर लेता है, उसे लगता है बिल्ली नज़र नहीं आएगी तो बला टल जाएगी| बिल्ली भी मस्त उसे पता है की वो कबूतर के पास जाएगी तो कबूतर आँखें बंद कर लेगा| इस तरह दोनो का काम आसान हो जाता है| कबूतर का डर हमेशा के लिये मिट जाता है, और बिल्ली के खाने का इंतेज़ाम हो जाता है|

ठीक इसी तरह आम आदमी और सत्ताधारी या उच्च स्थान पर आसीन आदमी की कहानी चलती है| जब तक आम आदमी आँखें बंद रखता है| सत्ताधारी और कद्दावर लोग आम आदमी का शोषण करते हैं|
मैं भी कबूतरों में हूँ, पर भगवान से शक्ति मांग रहा हूँ, जिस दिन सिर घुमा उस दिन इन बिल्लियों को ऐसी ऐसी जगहों पे चोंच मारूंगा की इनको हम कबूतरों का शिकार करना भारी हो जाएगा|

उल्लास पी.आर. की कलम से.......

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