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रविवार, 25 नवंबर 2012

आम आदमी......


चल  अकेला, चल अकेला , चल  अकेला, तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला,
तू न रुकेगा, न झुकेगा, हिन्दुस्तान की शान है, आगे बढ़ेगा,
होठों पे सफाई रहती है , जहाँ दिल में सफाई रहती है,  
हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है,
एक नई पार्टी, एक नई सोच, एक नया जज्बा, एक नया जोश,
‘आम आदमी’ की पार्टी कोई नयी पार्टी नहीं ,
 न जाने कितने बार , कितने लोगों ने , कितनी जगह, 
इस आम आदमी के लिए कितनी नयी पार्टी बनाई ,  पर अंत में ढाक के वही तीन पांत ,
वह आम की कब 'ख़ास' बन गयी पता ही नहीं चला ........ 

और बिचारा आम आदमी, चुसे हुए 'आम' की  तरह महसूस करता रह गया,
जिसमें से सारी गर्री कोईनिकाल कर कोई खा गया हो ! 
फिर 5 साल बाद हर पार्टी,  चुनावी मौसम में,
इस आम आदमी को 'ख़ास' बनाने की कवायद में जुट जाती है , 
और जो इसे रिझाने में सफल हो जाती  वही 'ख़ास' हो जाती है। 
फिर  जनाब 5 साल तक आप 'मौनी' बाबा बन जाईये ....... , 
मुंह पर ताला , आँखों पर पट्टी और कानों में रुई ठूंस लीजिये ........
'आम' लोगों के हाथ में चुनावी वोट का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है,
और कहते हैं इससे जी  भर  के खेलो और खूब बजाते रहो,  
लेकिन, हमारे किसी भी काम में दखलंदाजी मत करो। 
समझते नहीं हो यार ......., टाईम खोटी  होता है ......(धंदे का टाइम है) 
देश की कितनी सेवा करना है, कितनों की भूख मिटानी है ..........
AAP का इन्तजार अब ख़त्म , अब तो हर इलाज का मर्ज भी हम हैं और दवा भी हम हैं I 
किसका है ये तुमको इन्तजार मैं हूँ ना ....... देख लो इधर भी एकबार मैं हूँ ना .......
एक नजर, इस नई पार्टी को भी आजमा कर देख लेतें हैं,  
पार्टीयों की भीड़ में इस नन्ही सी नयी पार्टी का भी स्वागत ........
पर संभलना, चुनावी दंगल में कई 'दबंग' पहले से ही ताल ठोंक कर खड़े हैं,
कहीं इस भीड़ में AAP भी ख़ास न बन जाना ,
तू न थकेगा कभी
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

शुभकामनाओं सहित,
आप का 'आम आदमी"!

अचल कोसल....

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