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मंगलवार, 26 मार्च 2013

इस बार दिल्ली में होलिका के साथ जले बिजली के बिल


होली हम सब के लिए बहुत आनंद का पर्व है. लेकिन इस बार हम सब होलिका-दहन, घर-परिवार के साथ नहीं बल्कि दिल्ली की एक झुग्गी-कालोनी में बिजली के नाजायज़ बिल जला कर मना रहे हैं.

आप भी सुन्दर-नगरी पहुँचिये या जहाँ हों वहीँ इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलन्द करिए. ऐसा न हो कि हमारी उपेक्षा या मौन से एक क्रन्तिकारी की "प्रह्लाद-धर्मी" चेतना भ्रष्टाचार की अराजक आग में जल कर राख हो जाये ! कुछ लोग कहते हैं कि ये राजनीति है.
काश कि ऐसी राजनीती मोटी तोंद वाले,कड़क कलफ में लिपटे,बड़ी गाड़ियों में विचरते "अंगूठा-छाप" नेता भी शुरू कर दें जो एक दीवाना इनकम टेक्स-कमिश्नर की नौकरी को लात मात कर दिल्ली की एक मलिन बस्ती में एक गरीब के दरवाज़े पर कर रहा है.
कम्पनियों की दलाली कर रही दिल्ली सरकार की हालत पतली हो रही है, लाखों लोगों को बिजली बिल जलाते देख कर! हो सकता है अभी कुछ लोग इस तपस्या को गाली दें लेकिन एक दिन आयेगा जब इतिहास भारत की नव्य-राजनीति के इन अनोखे प्रयोगों को आदर से प्रणाम करेगा.
अरविन्द को प्रचंड उमस-मधुमेह में जोर मारती भूख पर विजय का चौथा दिन मुबारक! आइये हम सब इस होलिका दहन में राजनीती और कॉर्पोरेट की सम्मिलित लूट के प्रमाण पत्र यानी, बिजली पानी के बिलों को जलाकर हर दिल्ली वासी के दिल में मनोबल का उजाला फैलाएं.
आप सब को भी इस होलिका दहन के अशेष शुभकामनाएँ ! हम लड़ेंगे और जीतेंगे साथी... हर उदास मौसम के खिलाफ ! जय हिन्द !

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