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बुधवार, 20 मार्च 2013

AAP On Gujrat Govt Irrigation Bill

Gujarat govt. proposing such a bill just because they have a healthy majority shows the credentials of the government which hails the pro people good governance model.
The legislation is anti-farmers, it prescribes the provisions to monitor the irrigation schemes, water distribution, maintenance of irrigation channels, set up and maintain water-gauges and conduct inquiry and examination wherever there is breach of the proposed provisions of the bill.
There is a provision in the bill which makes it mandatory for a farmer to apply for a licence from the canal officer of his area if he wants to construct a tubewell or borewell or an artesian well, exceeding the depth as prescribed by the government for extracting ground water.
If Irrigation and farming are the matters that directly affect the farmers, why weren't they consulted before drafting such bill? Why wasn't their consent taken to include such arbitrary measures? What is 'pro people' about the governance in Gujarat then?
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गुजरात सरकार ऐसा बिल सिर्फ इसलिए पेश कर रही है, क्यूंकि उनके पास एक स्वस्थ बहुमत है,जो समर्थक लोगों को सरकार का एक अच्छा शासन मॉडल प्रस्तुत करती है !! यह किसान विरोधी कानून है !!यह सिंचाई योजनाओं, जल वितरण, सिंचाई चैनलों के रखरखाव की स्थापना की निगरानी और पानी गेज को बनाए रखने और जहाँ कहीं भी प्रस्तावित बिल के प्रावधानों का उल्लंघन है. उसके लिए जांच और परीक्षा आयोजित करता है.
बिल में एक प्रावधान है, जिसके अनुसार यदि एक किसान ट्यूबवेल, बोरवेल लगाकर अधिक गहराई से पानी निकालना चाहता है, तो उसे अपने क्षेत्र के कैनल अधिकारी के समक्ष लाइसेंस के लिए आवेदन देना अनिवार्य है.
यदि सिंचाई और खेती के मामले सीधे किसानों को प्रभावित कर रहे हैं, तो क्या बिल का मसौदा तैयार करने से पहले किसानो से परामर्श किया गया? क्यों ऐसे मनमाने नियमो के लिए उनकी सहमति को शामिल नही किया गया ? तो गुजरात में 'जनता का शुभचिंतक' कौन है?
Photo: Gujarat govt. proposing such a bill just because they have a healthy majority shows the credentials of the government which hails the pro people good governance model. 
The legislation is anti-farmers, it prescribes the provisions to monitor the irrigation schemes, water distribution, maintenance of irrigation channels, set up and maintain water-gauges and conduct inquiry and examination wherever there is breach of the proposed provisions of the bill.
There is a provision in the bill which makes it mandatory for a farmer to apply for a licence from the canal officer of his area if he wants to construct a tubewell or borewell or an artesian well, exceeding the depth as prescribed by the government for extracting ground water.
If Irrigation and farming are the matters that directly affect the farmers, why weren't they consulted before drafting such bill? Why wasn't their consent taken to include such arbitrary measures? What is 'pro people' about the governance in Gujarat then?
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गुजरात सरकार ऐसा बिल सिर्फ इसलिए पेश कर रही है, क्यूंकि उनके पास एक स्वस्थ बहुमत है,जो समर्थक लोगों को सरकार का एक अच्छा शासन मॉडल प्रस्तुत करती है !! यह किसान विरोधी कानून है !!यह सिंचाई योजनाओं, जल वितरण, सिंचाई चैनलों के रखरखाव की स्थापना की निगरानी और पानी गेज को बनाए रखने और जहाँ कहीं भी प्रस्तावित बिल के प्रावधानों का उल्लंघन है. उसके लिए जांच और परीक्षा आयोजित करता है.
बिल में एक प्रावधान है, जिसके अनुसार यदि एक किसान ट्यूबवेल, बोरवेल लगाकर अधिक गहराई से पानी निकालना चाहता है, तो उसे अपने क्षेत्र के कैनल अधिकारी के समक्ष लाइसेंस के लिए आवेदन देना अनिवार्य है.
यदि सिंचाई और खेती के मामले सीधे किसानों को प्रभावित कर रहे हैं, तो क्या बिल का मसौदा तैयार करने से पहले किसानो से परामर्श किया गया? क्यों ऐसे मनमाने नियमो के लिए उनकी सहमति को शामिल नही किया गया ? तो गुजरात में 'जनता का शुभचिंतक' कौन है?

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