Translet

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

आतंकवादी घटना के बाद के कुछ घंटों के दौरान नेताओं के कुछ बयान-

ये एक शर्मनाक घटना है...
ये एक कायरतापूर्ण काम है...
दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा....
हम इस तरह की घटनाओं की निंदा करते हैं....
ये घटनाएं भारत को तोड़ने की नाकाम कोशिशें हैं...
सांप्रदायिक सदभाव को तोड़ने की इन चालों का हम पुरजोर विरोध करते हैं..
आतंक का कोई धर्म नहीं होता....
इस घटना से ये नहीं कहा जा सकता कि पूरा ख़ुफ़िया विभाग नाकारा है...
इतने बड़े देश में इस किस्म के हादसों को होने से हमेशा टाला नहीं जा सकता..
मरने वालों और घायलों को मुआवजा दिया जायेगा...
घायलों का इलाज अच्छे ढंग से और मुफ्त में करने के आदेश दे दिए गए हैं..
दिल्ली से NIA और अन्य जांच दल मौका-ऐ-वारदात के लिए निकल चुके है...
देशवासी ऐसे मुश्किल समय में एकता बनाये रखें....


और घटना के अगले दिन के बयान-

विस्फोट बड़े ताकतवर थे....
जांच में बम में अमोनियम नाइट्रेट पाया गया..
लोहे की कीलों का भी प्रयोग बम बनाने में हुआ था...
रिमोट कण्ट्रोल से बम को नियंत्रित किया गया...
3.9 volts की बैटरी का प्रयोग बम बनाने में हुआ.....

अरे बंद करो ये सब बकवास...बंद करो दोहराना वही सब जो हर बार दोहराते हो हर बम विस्फोट होने के बाद....वही शब्द, वही बातें, वही झूठे दिलासे.....

बंद करो ये तमाशा....बेवकूफ समझ के रखा है क्या पूरे मुल्क को ????

अरे रो लेने दे हमको और मरने वालों के परिवार को लोगों को....क्या फर्क पड़ता है उस माँ को जिसका बच्चा मारा गया है इन धमाकों में कि बम में अमोनियम नाइट्रेट था कि कोई और रासायनिक पदार्थ... क्या फर्क पड़ता है उस विधवा को कि उसका पति को मारने वाले बम में 3.9 volts की बैटरी लगी थी या 6.8 volts की... बंद करो अब अपनी बकवास....ये सारा ज्ञान तुम अपने पास ही रखो....जाकर सुनाना अपनी महारानी और युवराज को...

हे मृतप्राय नेताओं, कुछ फर्क नहीं पड़ता तुम लोगों को हम लोगों के जीने-मरने से....कीड़े-मकोड़ों से ज्यादा औकात नहीं है आम आदमी कि तुम लोगों की नज़रों में....सिर्फ आंकड़े भर हैं हम तुम लोगों के लिए....क्योंकि अगर तुम हमें वाकई में इंसान समझते और हमारी जिंदगी की भी कोई कीमत समझते तो क्या हमें यूँ मरने देते...हवा में बिखरने ना देते हमारे जिस्मों को....

क्यों हर बम धमाके या आतंकवादी घटना के बाद जब ये कहा जाता है कि इस किस्म की करतूत फिर बर्दाश्त नहीं की जाएगी तो फिर क्यों ये हमले फिर से होते हैं ? क्या कदम उठाये तुमने हर बम ब्लास्ट के बाद कि भविष्य में फिर कभी ऐसी घटना ना हो ??????????

क्यों हमारे पैसों से तनख्वाह पाने वाले बंदूकों से लेस पुलिस और कमांडो तुम लोगों से जौंक की तरह चिमटकर तुम्हारी रक्षा करते हैं और हम आम आदमी कुत्ते से भी बदतर मौत मरते हैं सड़कों और बाज़ारों में ???? हमारी सुरक्षा के लिए क्या दिया तुमने- पुलिस के हाथ में डंडे और भी हमीं पर बरसाने के लिए...?

सच तो ये है कि शायद अब तुम लोगों को मज़ा आने लगा है...लाल लाल खून देखकर....कपड़ों पर, हाथों पर, मुंह पर, बदन पर, सड़क पर....लाल लाल गरम गरम खून.....और साथ ही साथ इंसानी जिस्म के लोथड़े - हवा में उड़ते हुए- जिस्म से कट-छिटककर दूर दूर तक फैले हुए- शायद ये भी तुम्हे कहीं ना कहीं अहसास करवाते हैं कि तुम "खास" हो......कि तुम्हारे साथ ऐसा कभी नहीं हो सकता...कि शायद अजर, अमर हो गए हो तुम लोग....

इन घटनायों को पहले से ही रोकने की लिए तुम कुछ भी नहीं करते हो -- क्योंकि शायद अब तुम्हे अच्छा लगने लगी है ये रुदन, ये क्रंदन, ये चीखें, ये विलाप, ये शोर, ये धमाके, ये बेबसी, ये लाचारी, ये दर्द, ये यातनाएं.....

तुम अब इन सब छोटी-मोटी बातों से विचलित नहीं होते हो क्योंकि ये खून, ये जिस्म के लोथड़े, ये चीख, ये पुकार तुम्हारे किसी अपने की तो नहीं है ना- क्योंकि तुम्हारे अपने तो घूमते हैं लाल बातियों में खाकी हाथों के मौजूद बंदूकों के सायें में - बिलकुल महफूज़, बिलकुल सुरक्षित...

और पीछे सड़क और मोहल्ले-बाज़ार में रह जाते हैं हम लोग- भगवान् भरोसे !!

अगली बार नया शहर, नया धमाका पर कायम रहेंगे यही पुराने बयान.....
किसको दोष देना भाई- याद आया अब तक किसको वोट देकर आये थे और क्यों ?

और क्या याद है कि अगली बार किसे वोट देना है और क्यों ?

आतंकवादी घटना के कुछ घंटों के दौरान के कुछ बयान-

ये एक शर्मनाक घटना है...
ये एक कायरतापूर्ण काम है...
दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा....
हम इस तरह की घटनाओं की निंदा करते हैं....................................

डॉ राजेश गर्ग.
garg50@rediffmail.com

1 टिप्पणी:

  1. बेनामी2/22/2013

    वाह , शानदार लेख है .
    नेताओ को पार्टी द्वारा यही बयान देना सीखाया जाता है ....अगली बार भी यही बयान देंगे

    जवाब देंहटाएं