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मंगलवार, 27 नवंबर 2012

आम आदमी को संतुष्ट कर पाएंगे केजरीवाल?

ZeeNews........रामानुज सिंह

जी-न्यूज़ के रामानुज सिंह ने नई बनी "आम आदमी पार्टी" के लिए कुछ चुनौतिया बताई है उनको हम नजर अंदाज नही कर सकते.... इसलिए उसे आप सभी के समक्ष रख रहे है...
सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी बनाकर राजनीतिक आखाड़े में दूसरी राजनीतिक पार्टियों से दो-दो हाथ करने के लिए उतर चुके हैं। करीब डेढ़ साल से भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल को लेकर देश भर में आंदोलन की हवा तैयार करने वाले केजरीवाल जनता के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियों के मुकाबले एक विकल्प देने के उद्देश्य से राजनीति के मैदान में उतरे हैं ताकि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार आम जन तक सही तरीके से पहुंच सके। क्या केजरीवाल सवा अरब की आबादी को संतुष्ट कर पाएंगे? उनका स्वराज धरातल पर उतर पाएगा?

देश के आजाद होने के बाद तत्कालीन राजनेताओं और विद्वानों ने समाज के सर्वांगीण विकास और कानून व्यवस्था को सुचारु तरीके से चलाने के लिए संविधान का निर्माण किया। संविधान में गांव से लेकर शहर तक, पंचायत से लेकर संसद तक हर विधि व्यवस्था के लिए नियम लिखे गए , ताकि कल्याणकारी राज्य की स्थापना हो सके। लेकिन आजादी के 64 साल बाद भी महंगाई, भ्रष्टाचार, गरीबी पर काबू नहीं पाया गया। इस दरम्यान देश और प्रदेशों में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, वामपंथी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल, जनता पार्टी, टीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल यूनाइटेड और अकाली दल जैसे पार्टियों की सरकार रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियां चुनावी समर में अपने-अपने जन कल्याण के वादे के साथ मतदाताओं के सामने जाती हैं। चुनावी जंग जीतने वाली पार्टी अपनी सरकार बनाती है। फिर इसके बाद नेता जन कल्याण की बात भूलकर अपने कल्याण में लग जाते हैं। यह देख कर जनता निराश होती है फिर अगले चुनाव में दूसरी पार्टी को मौका देती है। दूसरी पार्टी के नेता भी वही करते हैं जो पहली पार्टी के नेता करते थे। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

इन सबके बीच कैसे भरोसा किया जा सकता है केजरीवाल की पार्टी के नेता एक मिसाल कायम करेंगे। क्योंकि करीब-करीब सभी दल के नेता इस सिद्धांत पर चलते हैं चार काम हम उनके करते हैं और चार काम वे हमारे करते हैं। 

देश का आम आदमी कई समस्यों से जूझ रहा है। आर्थिक विभिन्नता की वजह से कुछ लोगों के पास धन का सर्वाधिक हिस्सा जमा हो चुका है। अधिकांश लोग आर्थिक तंगी में जी रहे हैं। इसलिए आज भी देश की 26 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रही है। केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमीर-गरीब की खाई को पाटने के लिए विकल्प देने की है। क्या इसमें उनकी पार्टी सफल हो पाएगी? 

जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या महंगाई है। मूलभूत आवश्यकताओं की चीजों की कीमतें दिन-प्रतिदिन बढ़ने से आम जनता त्रस्त है। कभी पेट्रोल, कभी डीजल तो कभी रसोई गैस की कीमतें बढ़ती रहती हैं। जिससे अन्य वस्तुओं की कीमतें स्वतः बढ़ जाती है, परन्तु उस हिसाब से आम लोगों की आय नहीं बढ़ती है।

महंगाई के बाद बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार की तलाश में युवाओं को अपने राज्यों से पलायन होने को मजबूर होना पड़ता है। जिससे दूसरे राज्य और देशों में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

देश भर के सभी स्कूलों और कॉलेजों में सभी के लिए शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध होना चाहिए ताकि सभी तबकों को शिक्षा मिल सके। शिक्षा के निजीकरण के चलते शिक्षा महंगी हो गई है। पैसे के अभाव में आम लोग चाह कर भी शिक्षा पूरी नहीं कर पाते। इसलिए निजीकरण पर अकुंश लगाना जरूरी है जिससे सबको समान शिक्षा का अवसर मिल सके।

सभी समस्यों की जड़ भ्रष्टाचार है। आजादी के बाद से जीप घोटाला से लेकर चारा घोटाला, शेयर घोटाला, 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला जैसे कई घोटाले ने देश की आर्थिक रीढ़ को कमजोर कर दिया है। जिसकी वजह से भारत अब तक विकसित देश न बनकर विकासशील देश ही बनकर रह गया है।

इसके अलावे देश में जातिवाद, क्षेत्रवाद, उग्रवाद, आतंकवाद, कालाधन जैसे तमाम मुद्दों पर केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी ’ को लोगों के सामने अन्य पार्टियों से बेहतर विकल्प देना होगा। शायद इसके बाद ही ‘ आम आदमी पार्टी’ आम आदमी की हो पाएगी। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. https://www.box.com/s/yovlbgy6rkhgrnfd58av
    mr. KS Ahmad ji plz visit this link..

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  2. बेनामी11/07/2013

    Samasya to ek hi hai ki logo ko saare cheezo ki knowledge nahi hai Jo bhi kuch janta hai adhura janta hai or Jo saare cheeze Janet hai WO kuch batana nahi caahte.cheezo se jagruk hone ki jarurat hai

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